My name is Vaishnavi Shukla...And this is my first story ....!!! कोई गलती हो तो माफ कीजियेगा !!!🙏
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परिचय: श्रद्धा शर्मा ,उम्र २२ साल , हमारी कहानी की नायिका, सुंदर चेहरा ,और उस से भी सुंदर मन । किसी के बारे में बुरा नही सोचती । बेबाक स्वभाव ,गलत किसी भी कीमत पर बर्दास्त नही।
पिता: अमृत शर्मा , एक जनरल स्टोर के मालिक , साधारण और शांत स्वभाव।
माता:वंदना शर्मा, ग्रहणी। और पार्थ, उम्र १२ वर्ष उसका छोटा भाई ...(मस्ती की दुकान)
ये है श्रद्धा की छोटी सी प्यारी सी....मिडिल क्लास फैमिली
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मां कमरे में बड़बड़ाते हुए दाखिल होती है ....ये लड़की पता नही कब सुधरेगी ...!!
वंदना: 8 बज गए है । सूर्य देवता सर पर है ,पर राजकुमारी अभी तक सोई हुई है ( वो खिड़की का परदा हटाते हुए कहती है),.... श्रद्धा उठ जा 8 बज गए है ।
श्रद्धा (सोते हुए अंगराई लेते हुए) मां ,सोने दो ना, बस थोड़ी देर...!!!
वंदना:(उसका हाथ खींचते हुए) श्रद्धा, तू भूल गई श्रीराधाकृष्ण मंदिर ,के पुजारी जी ने बुलाया था तुझे ।
श्रद्धा:(झट से आंखे खोलती हुई ) अरे! मैं तो भूल ही गई थी!!
वंदना: चल उठ ! जल्दी नहा धोकर ...नीचे नाश्ता करने आ जा!!
श्रद्धा: जी मां।
(वंदना नीचे चली जाती है ! श्रद्धा नहाने चली जाती हैं।)
श्रद्धा नहा धोकर तैयार होती है.।
लाल कलर का सूट उसके गोरे चेहरे को और भी निखर रहा था । उसपर नेट का दुपट्टा ।।
हाथों में मोरपंख का ब्रेसलेट और गले में श्रीकृष्ण का लॉकेट!(वो तैयार होकर नीचे पहुंचती है !जहां अमृत सोफे पर बैठा चाय पी रहा होता है !!)
अमृत: श्रद्धा...आओ बेटा!!
वंदना: हा आइए ... आइए राजकुमारी जी...पधारे...!!
श्रद्धा:(वंदना को गुस्सा देखकर....मस्ती में) कहिए ...राजमाता जी हमारा नाश्ता तैयार है!! शीघ्र करे!! ...हमे थोड़ा विलम्ब हो रहा है!!!
(और हल्की हसी हसती है। था बात सुनकर अमृत भी मुकुरा देता है !!)
वंदना: क्या करूं मैं इस लड़की का!!!
अमृत:क्या वंदना तुम भी!!...क्यों सुनाती रहती हो बेचारी को!!!
वंदना:आपने ही बिगाड़ रखा है दोनो को....! अरे...!! एक पार्थ है वो शैतानियों की दुकान ...बिना नाश्ता किए सुबह सुबह ही खेलने निकल गया ।। और एक ये है राजकुमारी जी ..8 बजे इनकी नींद खुलती है वो भी मेरे जगाने से ....( वो पराठे बनाते हुए बोली)
श्रद्धा:(थोड़े भोलेपन से)मां अब आप ही बताइए....जिनके सपने इतने बड़े हो....उन्हें देर तक तो सोना ही पड़ेगा ना...क्यूं पापा(हल्की हसी के साथ )
अमृत:(हंसते हुए) बिल्कुल, बिल्कुल।
वन्दना: कुछ नही हो सकता ....आप दोनो बाप बेटी का....!!(श्रद्धा के सामने नाश्ते की प्लेट और चाय रखते हुए ) लो ...जल्दी खत्म कर और जा!!
अमृत: कहां जाना है ??
श्रद्धा: श्री राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी जी ने बुलाया है कुछ बात करनी थी ....उन्हें!!!
अमृत: अच्छा..!!!तुझे चलना है तो बता ...छोड़ दू अपने रथ (स्कूटर) पर...!!
श्रद्धा:(हंसते हुए) नही पापा ....आप दुकान जाइए....!!!हम चले जायेंगे..!!
अमृत:ठीक है ...!! कोई बात नही ...रथ की सवारी किसी और दिन!!!
श्रद्धा: बिल्कुल...पक्का !!!
(दोनो हस्ते है और अमृत चला जाता है!!)
तभी एंट्री होती है प्रीति की ....उम्र:२३ साल , श्रद्धा की खास दोस्त ....साथ ही पड़ोसी भी!!
प्रीति:क्या श्रद्धा तू अभी नाश्ता ही कर रही है ....चलना नही है क्या??तेरी वजह से मैंने ठीक से नाश्ता नही किया!!!
श्रद्धा: हां हां बस थोड़ी देर ....नाश्ता खत्म कर लू !!
प्रीति: कितना खायेगी.....यार!!
श्रद्धा: देख मैंने तुझे पहले भी कहा है...मेरे खाने को नजर मत लगाया कर....आगे से मत करियो!!समझी
प्रीति:(मुंह बनाते हुए) हम्म्म!! भूखखड़...!!!
श्रद्धा:(हल्के गुस्से में उंगली दिखाते हुए)प्रीति देख ज्यादा....
(श्रद्धा और प्रीति .....दोनो की दोस्ती शरारत और मस्ती से भरी !!कभी एक दूसरे की टांग खिंचाई तो कभी खट्टी मीठी नोक झोंक....!!एक दूसरे को बहुत प्यार करती हैं!! साथ ही एक दूसरे की सिक्रेट डायरी!!!)
वंदना:(श्रद्धा को समझते हुए)..सही तो के रही है प्रीति ,चल उठ बाद में वापस आके खा लेना।।। देर हो गई तो कहीं नाराज न हो जाए !!...पुजारी जी!!
श्रद्धा:वो मुझसे नाराज नही होंगे!!!मां
वंदना:फिर भी उठ!!!
(प्रीति और वंदना दोनो मंदिर के लिए निकल जाते है।।।)
अब आगे जानेंगे....पुजारी जी ने श्रद्धा को क्यों बुलाया है।।।